Archive | October, 2021

Murga Murgi

28 Oct

” मुर्गा मुर्गी “

घर की मुर्गी दाल बराबर,

घर का मुर्गा भात बराबर।

मिल जाएं दोनों कहीं तो,

दोनों का है साथ बराबर।

ना मिल पाएं अगर वो तो,

दोनों की हो मात बराबर।

मुनासिब मिकदार में मिले,

बन जाए खिचड़ी बराबर।

मुर्गा मुर्गी अलग नहीं हैं,

बनते हैं हालात बराबर।

मुर्गा कहे दिल की रानी,

सजती नहीं रात बराबर।

मुर्गी कहे वक्त नहीं मिले,

कौन करेगा काम बराबर।

एक पूरब तो एक पश्चिम,

दोनो की ना चाल बराबर।

फिरभी मिलकर दोनों ही,

जायका बन जाएं बराबर।

नहीं एक से पर साथ रहें,

यही बने परिवार बराबर।

हर घर में इनके ‘मिलन’,

मिलते नहीं संवाद बराबर।।

मिलन ” मोनी “

Karvan Hai

27 Oct

” कारवां है “

महफिलों में आज कल यही हवा है,

ये शराब है जो दर्दे दिल की दवा है।

बिखरीं हैं बहारें मुस्कुरा के देखिए,

गुलशनों में मचल रही वादे सबा है।

इस क़दर हसीन नजारे लुभाये मन,

कुदरत के करिश्मों पर सर नवा है।

घर घर में सज रही है बज्मे शायरी,

शामें हैं रंगीन और हर रात जवां है।

तुम रहो तो हयाते वस्ल है ‘मिलन’

वरना तो ये कायनात भी कारवां है।।

मिलन ” मोनी “

Tajreeh Tou Karo

24 Oct

” तरजीह तो करो “

ख्वाब देखो, ख्वाब की ताबीर तो करो,

जिंदगी में खुशियों की तामीर तो करो ।

मुश्किलें इंसा की मजबूरियां आजमाएं,

आसानियां को अपनी तकदीर तो करो ।

तुम बदलो तो दुनिया भी बदल जाएगी,

ज़माना बदलने की नई तदबीर तो करो ।

डर बुझदिल बताने कभी आए अगर तो,

सामने छाती के अपने शमशीर तो करो ।

बांट लिया कायनात को अपनी पसंद से,

हिंदू या मुसलमान, साफ तस्वीर तो करो ।

दिल से दिल का रिश्ता ही दे जाए सुकून,

इतनी मजबूत रिश्तों की ज़ंजीर तो करो ।

इश्क ही दौलत है ‘मिलन’ हरेक केलिए,

प्यार की सही मायनों में तरजीह तो करो ।।

मिलन ” मोनी “

Aaya Jab

20 Oct

” आया जब “

दर्द उभर कर आया जब,

याद बहुत वो आया जब ।

दूरियों का एहसास हुआ,

पास बहुत वो आया जब ।

तंज किया इस जीवन पे,

पा कर सब न पाया जब ।

सुकून वहीं ही मिला हमें,

लौटके घर पे आया जब ।

आइना देख क्यों डर गए,

अपना ही था साया जब ।

गजलें कह बैठा ‘मिलन’

तुझ पे प्यार आया जब ।।

मिलन “मोनी”

Gaya So Gaya

19 Oct

” गया सो गया “

आयना जुड़ता नहीं, जो टूट गया सो टूट गया,

सफ़ीना बनता नहीं, जो डूब गया सो डूब गया ।

दौलत प्यार की या आबरू हस्तिये मशहूर की,

खजाना जमता नहीं, जो लूट गया सो लूट गया ।

रिश्तों का बंधन हो या मंजिल तक का रास्ता,

कारवां बनता नहीं, जो छूट गया सो छूट गया ।

दोस्ती की नाव चले या हो वास्ता ए मोहज्जब,

फासला घटता नहीं, जो रूठ गया सो रूठ गया ।

जिंदगी और वक्त का है अजीब हिसाब किताब,

वायदा निभता नहीं, जो भूल गया सो भूल गया ।

हिटलर आए स्टालिन आए या आए सद्दाम जी,

कायदा चलता नहीं, जो टूट गया सो टूट गया ।

दर्द हो दिल का ‘मिलन’ या आंख के आंसू हों,

गागरा छलका नहीं, जो फूट गया सो फूट गया ।।

मिलन ” मोनी “

Mahaul

19 Oct

” माहौल “

नाराज सनम मनाए रखना,

माहौल अच्छा बनाए रखना ।

चोट मिले जो पहचानो से,

दिल में जख्म दबाए रखना ।

जानें कब इस तरफ आएं,

ये घर अपना सजाए रखना ।

आंधी आए या तूफान आए,

शम्मा ए इश्क जलाए रखना ।

हिज्र में तेरे लिखीं जो हमने,

किताबे गजल छुपाए रखना ।

है आदमी के लिए मुश्किल,

खुद को इंसा बनाए रखना ।

देश, धर्म या कानून ‘मिलन’,

सब मिलाकर चलाए रखना ।।

मिलन ” मोनी “

Dehle Par Nehla

15 Oct

” देहले पर नहला “

शीशे का मकान बनाए बैठे हो,

सड़क पे पत्थर सजाए बैठे हो।

दुश्मन से डर नहीं लगता और,

तलवार पर धार लगाए बैठे हो।

वो जो ख्वाबों में भी नहीं आते,

उनको पलकों पर उठाए बैठे हो।

जिसको तुम्हारी परवाह नहीं है,

दिले दास्तां उन्हें सुनाए बैठे हो।

सुनाते नहीं जुनून शौक की,

किस्सा दिल में दबाए बैठे हो।

तलब मोहब्बत की थी तुम से,

शराब से प्यास बुझाए बैठे हो।

पलक झपकते जो टूट जायेंगे,

सपनों पर आस लगाए बैठे हो।

तुम्हारी चाल अजब है ‘मिलन’,

देहले पर नहला चलाए बैठे हो।।

मिलन ” मोनी “

Chal Hi Nahi Pata

12 Oct

” चल ही नहीं पाता “

किसी के वक्त का कुछ भी पता चल ही नहीं पाता,

मुनासिब कौन सा वक्त है पता चल ही नहीं पाता।

ज़ुबां से कुछ कहा न कुछ निगाहों ने ही बतलाया,

मिज़ाजे यार का मुझको पता चल ही नहीं पाता।

उन्हें है इल्म दिल के मामले को कितना छुपाना है,

हकीकत का कभी मुझको पता चल ही नहीं पाता।

कभी वो दूर चले जाते हैं, कभी नजदीक आते हैं,

वो कितने हैं खफा हमसे पता चल ही नहीं पाता।

कभी क्यों रूठ जाते हैं, कभी क्यों मुस्कुराते हैं,

तकाजा हुस्न का क्या है पता चल ही नहीं पाता।

किस्मत से ‘मिलन’ हमको अगर तुम नहीं मिलते,

मुहब्बत की सजा है क्या पता चल ही नहीं पाता।।

मिलन “मोनी,”

Chorte Hain

10 Oct

” छोड़ते हैं “

हम वादा करते है,तो निभा के छोड़ते हैं,

एक बार जो बोल दें, दिखा के छोड़ते हैं।

हुनर कुछ कम नहीं है, निशानेबाजी का,

तिरछे तीर निगाहों के, चला के छोड़ते है।

दिखाते भी नहीं बनता, छुपाते भी नहीं,

जो जख्म दिल पे वो, लगा के छोड़ते हैं।

खुद मानते नहीं हैं, कभी किसी की बात,

पर अपनी हर बात, मनवा के छोड़ते हैं।

प्याले भरे भरे हुए, छलकाते जब शराब,

झील सी आंखों से, छलका के छोड़ते हैं।

ले लेते हैं वो अंगड़ाई, जिस नजाकत से,

हम दीवानों के दिल, जला के छोड़ते हैं।

राज की बात को भी, राज नहीं रखते,

बातों बातों में बात, बतला के छोड़ते हैं।

डरते नहीं ‘मिलन’ उनके तेवर देख कर,

हमभी तो किस्मत, आजमा के छोड़ते हैं।।

मिलन ” मोनी “

Uska Shabab

7 Oct

” उसका शबाब “

रोशनी ने कहा के आफताब है,

चांदनी ने कहा कि महताब है।

बाग में खिला मखमली बदन,

फूल ने कहा यह तो गुलाब है।

चेहरा बता रहा जो हाले दिल,

जज़्बात ने कहा वो किताब है।

डूबने लगे जिसके नशे में हम,

आंख ने कहा के वो शराब है।

आइने बोले रूप उसका देख,

हर तरह से यही लाजवाब है।

पहली बार देख उसे ‘मिलन’

या खुदा खूब सूरत शबाब है।।

मिलन ” मोनी “