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Tu Maan Bhi Jaa

12 Jan

” तू मान भी जा “

चांदनी रात में साए तो बहुत देखें है,

इक साया है मेरे प्यार का, तू मान भी जा !

समंदर तट पे लहरें तो बहुत देखीं है,

इक लहर है मेरी प्यास की, तू मान भी जा !!

कोई माने या न माने पर मुझे है यकीं,

तू जितनी दूर, उतने दिल के नजदीक,

गुलशन में कलियां तो बहुत देखीं है,

तू कली है जीवन बहार की, तू मान भी जा !!१

शमा में जलते परवाने तो बहुत देखे हैं,

इक परवाना मेरा मन भी है, तू मान भी जा !

रात सितारे टिमटिमाते तो बहुत देखे हैं,

इक सितारा है मेरे अरमां का, तू मान भी जा !!२

आता है अकेला, जाता है अकेला इंसा,

पर प्रेम इक दूजे संग जीना सिखा देता है,

मेघों में बिजली कड़कना तो बहुत देखा है,

इक चमक है मेरे विश्वास में, तू मान भी जा !!३

शहर में मकां खाली तो बहुत देखे हैं,

इक मकान है मेरा दिल भी, तू मान भी जा !

आसमान में उड़ते परिंदे तो बहुत देखे हैं,

इक परिंदा है मेरा ख्वाब भी, तू मान भी जा !!४

कुछ सपने आंखों आंखों में जागते हैं,

वहीं जागती आंखों के सपने होते हैं ,

शेर ओ शायरी में गज़लें तो बहुत देखीं है,

इक ग़ज़ल है ज़िन्दगी भी, तू मान भी जा !!५

तू मान भी जा, बस अब तू मान भी जा !!

मिलन “मोनी” १२/०१/२०२१