बहुत दूर मैं साथ तेरे चल नहीं सका,
बहुत देर मोहब्बतों में जल नहीं सका !१
मैं प्यार की वो इबादत था जो कभी,
उन्वान-ए-गज़ल तक बदल नहीं सका !२
हाथ तेरा हाथ से छूट गया है जबसे,
मैं अपने आप से सम्भहल नहीं सका !३
सोचा बहुत लबों पर तेरा नाम ना लूं,
पर इश्क-ए-तासीर को छल नहीं सका !४
बहुत बार सोचा मगर फिर भी हमारे,
दिल से ख्याल तेरा निकल नहीं सका !५
झूठ इतना बोला के सच लगे ‘मिलन’
ये सच तो सच था के बदल नहीं सका !!६
मिलन “मोनी”