Archive | January, 2023

Painda Hun Mai

23 Jan

” पाइंदा हूं मैं “

तेरे इश्क में मर कर भी जिंदा हूं मैं,

मोहब्बत में उड़ता एक परिंदा हूं मैं।१

लोग नफरत से मुंह मोड़ कर बैठे हैं,

दिलों को जोड़े वो एक कारिंदा हूं मैं।२

इसका एहसास जाने कब होगा तुझे,

हज़ार नितामतों में एक चुनिंदा हूं मैं।३

हर एक मर्ज का इलाज है मेरे पास,

अल्लाह से भेजा एक नुमाइंदा हूं मैं।४

मिटता नहीं मेरा प्यार इस दिल से,

यकीनन इस वजह से पाइंदा हूं मैं।५

जो प्यार दौलत से तोलते ‘मिलन’

इंसान की इस सोच से शर्मिंदा हूं मैं।।६

मिलन ” मोनी “

Deewaar Nahi Hai

14 Jan

” दीवार नहीं है “

तेरे बगैर ये जिंदगी कोई जिंदगी नहीं है,

कदमों में हर खुशी लेकिन खुशी नहीं है ।१

कोरा है दिल का आयना आजतक मेरा,

तस्वीर कोई अबतक इसमें सजी नहीं है ।२

शम्मा है इश्क की सदियों से जल रही है,

बुझाया आंधियों ने फिरभी बुझी नहीं है ।३

खामोशियों ने चुपके से कानों में ये कहा,

ढलने को रात आधी फिर भी ढली नहीं है ।४

तदबीर ने हमेशा से कोशिश बहुत करी है,

तकदीर के मुक़ाबिल उसकी चली नहीं है ।५

मजहबों के बीच ‘मिलन’ बंदिशें हों मगर,

दीवार दिलों के दरम्यान कोई उठी नहीं है ।।६

मिलन ” मोनी “

Andhera

10 Jan

” अंधेरा “

जख्म देना गर फितरत है ज़माने की,

तो हमको भी आदत है मुस्कुराने की ।१

लोगों को महारत है आग लगाने की,

हमारी भी हसरत है आग बुझाने की ।२

समंदर की दहशत है लहर उठाने की,

हमारी भी बहशत है किनारे लगाने की ।३

नही कोई रहता किसी के साथ हमेशा,

क्या जरूरत फिर रिश्ते आजमाने की ।४

दुनिया छिड़क देगी नमक ज़ख्मों पर,

सज़ा मिलेगी अपने घाव दिखाने की ।५

रास्ता मंजिल तक पहुंच ही जाएगा,

सही बात है पहला कदम बढ़ाने की ।६

वो रात शायद आखिरी रात हो मेरी,

तेरी फुरकत में एक रात बिताने की ।७

फरियाद करो तो बस खुदा से करो,

इंसान के आगे नहीं हाथ फैलाने की ।८

इश्क से बढ़ के कोई दौलत नहीं है,

यही हकीकत है प्यार के फसाने की ।९

बस सूरज की तरह उगना ‘मिलन’,

ठान ली तूने जो अंधेरा मिटाने की ।।१०

मिलन ” मोनी “

Saza Kuchh Nahi

3 Jan

” सज़ा कुछ नहीं “

वो पास था जबतक गया कुछ नहीं,

वो दूर गया जब जब रहा कुछ नहीं ।

शम्मा अगर जलती रही रातभर तो,

ना मिली रोशनी तो मिला कुछ नहीं ।

खामोश निगाहों से बहरहाल बहुत,

कहा भी बहुत और कहा कुछ नहीं ।

मिट गया दिल का सारा भरम तब,

सिवा प्यार मोहब्बत बचा कुछ नहीं ।

किनारे पर थे तो फिक्र न थी कोई,

मझधार में शुक्र, कि बहा कुछ नहीं ।

ये मोहब्बत तो ऐसी हैअदा ‘मिलन’

ताउम्र गुलामी और सज़ा कुछ नही ।।

मिलन ” मोनी “