Archive | December, 2021

Sant

29 Dec

” संत

न रावण रहेगा न कंस,

ना जिसमें उनका अंश,

इस सनातन धरती पर,

बस राम कृष्ण का वंश !!

वस्त्र गेरुआ बाजे शंख,

माथे सजे तिलक चंदन,

इस विश्व में फैलाएं हम,

सनातन धर्म का आनंद !!

राजा बने या कोई रंक,

सबका एक जैसा अंत,

पशु पक्षी या हो मानव,

सबके ऊपर एक संत !!

कहो सनातन एक पंथ,

हिंदू बस इसका है अंग,

ब्रह्मा विष्णु और महेश,

महिमा इनकी है अनंत !!

सावन भादो या बसंत

सबके लिए ही सुमंत,

सरदी गरमी बरसात,

फैलाएं जग मरकंद !!

सपनों के लगा पंख,

बहती ब्यार मंद मंद,

गगन धारा का मिलन,

कविता जैसा है छंद !!

मिलन ” मोनी ”

Bhool Ki Humne

9 Dec

” भूल की हमने “

मुल्क का मेहमान समझा भूल की हमने,

हैवान को इन्सान समझा भूल की हमने ।

इश्क जताया बहुत पर किया नहीं कभी,

और उन्हें नादान समझा भूल की हमने ।

जो कुछ कहा तुमने वही तो किया मैने,

उसका फरमान समझा भूल की हमने ।

इब्तिदा को इन्तेहा मान लिया सफर में,

जमीं को आसमां समझा भूल की हमने ।

हुस्न को निखारा नहीं आइने के सामने,

कर्ज का मकान समझा भूल की हमने ।

वो नजदीक से नजदीकतर आते गए,

ये बहुत एहसान समझा भूल की हमने ।

मुश्किलें जो मिलीं ‘मिलन’ राहें शौक में,

उनको अरकान समझा भूल की हमने ।।

मिलन ” मोनी “