Karvan Hai

27 Oct

” कारवां है “

महफिलों में आज कल यही हवा है,

ये शराब है जो दर्दे दिल की दवा है।

बिखरीं हैं बहारें मुस्कुरा के देखिए,

गुलशनों में मचल रही वादे सबा है।

इस क़दर हसीन नजारे लुभाये मन,

कुदरत के करिश्मों पर सर नवा है।

घर घर में सज रही है बज्मे शायरी,

शामें हैं रंगीन और हर रात जवां है।

तुम रहो तो हयाते वस्ल है ‘मिलन’

वरना तो ये कायनात भी कारवां है।।

मिलन ” मोनी “

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