” नाता “
जो कबूतर तेरी छत से उड़ कर आता है,
वही कबूतर तुझ तक मेरे खत पहुंचाता है ।
जो बादल आंखों से मेरे अश्क चुराता है,
वो ही बादल तेरे आंगन बारिश लाता है ।
जो भी रस्ता मुझको तेरे घर तक लाता है,
वही रस्ता तुझको मुझतक लेकर आता है ।
जो हवा का झोंका तेरी खुशबू उड़ाता है,
वही झोंका रात मेरी खिड़की से आता है ।
जो चंदा हर शब तुम्हारी छत पे आता है,
वही चंदा मेरे आंगन चांदनी बरसाता है।
लगता है तेरा मुझसे सदियों का नाता है,
इसलिए ‘मिलन’ वक्त तेरे संग गुजरता है।।
मिलन ” मोनी”