” तरजीह तो करो “
ख्वाब देखो, ख्वाब की ताबीर तो करो,
जिंदगी में खुशियों की तामीर तो करो ।
मुश्किलें इंसा की मजबूरियां आजमाएं,
आसानियां को अपनी तकदीर तो करो ।
तुम बदलो तो दुनिया भी बदल जाएगी,
ज़माना बदलने की नई तदबीर तो करो ।
डर बुझदिल बताने कभी आए अगर तो,
सामने छाती के अपने शमशीर तो करो ।
बांट लिया कायनात को अपनी पसंद से,
हिंदू या मुसलमान, साफ तस्वीर तो करो ।
दिल से दिल का रिश्ता ही दे जाए सुकून,
इतनी मजबूत रिश्तों की ज़ंजीर तो करो ।
इश्क ही दौलत है ‘मिलन’ हरेक केलिए,
प्यार की सही मायनों में तरजीह तो करो ।।
मिलन ” मोनी “
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