Tajreeh Tou Karo

24 Oct

” तरजीह तो करो “

ख्वाब देखो, ख्वाब की ताबीर तो करो,

जिंदगी में खुशियों की तामीर तो करो ।

मुश्किलें इंसा की मजबूरियां आजमाएं,

आसानियां को अपनी तकदीर तो करो ।

तुम बदलो तो दुनिया भी बदल जाएगी,

ज़माना बदलने की नई तदबीर तो करो ।

डर बुझदिल बताने कभी आए अगर तो,

सामने छाती के अपने शमशीर तो करो ।

बांट लिया कायनात को अपनी पसंद से,

हिंदू या मुसलमान, साफ तस्वीर तो करो ।

दिल से दिल का रिश्ता ही दे जाए सुकून,

इतनी मजबूत रिश्तों की ज़ंजीर तो करो ।

इश्क ही दौलत है ‘मिलन’ हरेक केलिए,

प्यार की सही मायनों में तरजीह तो करो ।।

मिलन ” मोनी “

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