” कोई हो तुम “
कब से मेरी बाहों में सोई हो तुम,
जाने किन खयालों में खोई हो तुम।१
बस मासूम कली की खुशबू जैसी,
एक सतरंगे धागे में पिरोई हो तुम।२
कहां कहां जाने दिल में खोजूं तुम्हें,
हर एक कोने कोने संजोई हो तुम।३
वहां जहां कच्चा खाना नहीं होता,
ऐसी ही एक पक्की रसोई हो तुम।४
नम आँखें गीले गाल भीगे तकिए,
लगता है रात काफी देर रोई हो तुम।५
तुम मेरे दिल से ‘मिलन’ खेलती हो,
नाम नहीं मालूम मगर कोई हो तुम।। ६
मिलन “मोनी “
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