Archive | December, 2023

Peher

9 Dec

” पहर “

पानी जब सर से ऊपर गुजर जाता है,

तैरने वालों का भी नशा उतर जाता है।१

बाग में जो कली फूल बन मुस्काती है,

ये भंवर ही शहद चूसने उधर जाता है।२

तेरे इंतजार ए मोहब्बत में सनम अब,

ये सफर गुजर और वक्त ठहर जाता है।३

हासिल नहीं है कुछ इस बात को लेकर,

मरने के बाद ये आदमी किधर जाता है।४

गांव गांव में किसान जो रोटी उगाता है,

वही एक दिन रोटी कमाने शहर जाता है।५

वो आदम खोर भेड़िए घूमते हैं हर तरफ़,

देख कर जंगल में शेर भी सिहर जाता है।६

सियासत पे भी जब होने लगे सियासत,

जनता का दिल नेताओं से उतर जाता है।७

जिंदगी कटती ‘मिलन’ देखते ही देखते,

एक पहर आता है तो एक पहर जाता है।।८

मिलन ” मोनी “

Churana Hoga

2 Dec

” चुराना होगा “

अपने घर को फूलों से सजाना होगा,

डाल डाल से कांटों को हटाना होगा।१

अब अंधेरों में सफ़र मुमकिन नहीं,

हर मुंडेर पे एक सूरज उगाना होगा।२

वो जिनसे सितारे मिलते नहीं मेरे,

उनसे भी एक रिश्ता निभाना होगा।३

अपनों में ही कुछ गैर बन जाते हैं,

हर एक गैर को अपना बनाना होगा।४

उम्र की इक दहलीज को पारकर के,

हकीकत को खुद से भी छुपाना होगा।५

वक्त से कीमती कुछ है नही ‘मिलन’

अपने लिए कुछ इसे भी चुराना होगा।।६

मिलन ” मोनी “