Archive | October, 2021

Hindustan Hai

6 Oct

” हिंदुस्तान है “

फूल कांटे साथ खिलेँ यही तो गुलाब है,

गंगा जमुना साथ बहें यही तो कमाल है।

ना रोटी ना कपड़ा ना मकान है फिरभी,

सारी जनता कहती है मेरा देश महान है।

मुल्क की दौलत लूट कर घर भर लिया,

कोई नहीं समझता यही तो भ्रष्टाचार है।

अमीर को दौलत मिली गरीब को गरीबी,

लोकतंत्र के राज्य में क्या यही इंसाफ है।

एक देश एक ही कानून हो सबके लिए,

राजतंत्र की यही सबसे बड़ी पहचान है।

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब भाई रहें,

हर मजहब यहां एक कश्ती में सवार है।

कांटों में रह कर भी हमने फैलाई खुशबू,

सच कहे ये ‘मिलन’ यही तो हिंदुस्तान है।।

मिलन ‘ मोनी “

Kaun Jaane

4 Oct

” कौन जाने “

कहां से चिंगारी उठ कर कहां लगा दे आग कौन जाने,

कहां से कचरा उड़ कर कहां लगा दे दाग कौन जाने ।

जिंदगी के हर सुर मधुर और मीठे होने चाहिए वरना,

कहां से धुन निकल कर कहां बना दे राग कौन जाने ।

दुनिया जाने कब कहां कैसे निकाले बाल की खाल,

कहां से उतर कर तार कहां सजा दे साज कौन जाने ।

गम की हवाएं कब चल दें कब थम जाएं खबर नहीं,

कहां से उमड़ कर बादल कहां पर बरसात कौन जाने ।

कभी कभी महफिलों में खामोशी ही है बेहतर ‘मिलन’

कहां से निकल कर बात कहां बता दे राज कौन जाने ।।

मिलन ” मोनी “

Guldaste

1 Oct

” गुलदस्ते “

दुश्मन जितनी जल्दी से बनते हैं,

दोस्त उतनी मुश्किल से बनते हैं।

दिलों से दिल मिलते जब हमारे,

जिंदगी भर पक्के रिश्ते बनते हैं।

खुशबू उनमें होती नहीं जरा भी,

फूल जो भी कागज से बनते हैं।

ऊंचे नीचे पथरीले कांटों पर ही,

मंजिल तक के रास्ते बनाते हैं।

जागती आंखों से जो देखे जाते,

सिर्फ वही सपने सच्चे बनते हैं।

ताजे ताजे गुलों को चुन चुन के,

सुंदर से सुंदर गुलदस्ते बनते हैं।

पौधों की देखभाल करे ‘मिलन,

बस माली से ही बागीचे बनते हैं।।

मिलन ” मोनी “