” कभी सोचा न था “
रात सोए अलग अलग ये कभी सोचा न था,
फासला ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।१
जिंदा होते हुए भी अब हो गए मरहूम हम,
जख्म ऐसे भी मिलेगा ये कभी सोचा न था।२
हाथ उसका चाहा था साथ आया और कोई,
हादसा ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।३
हर कदम पर कुछ नई ठोकरें खानी पड़ी,
रास्ता ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।४
आयना है सामने पर चेहरा किसी और का,
सामना ऐसे भी होगा ये कभी सोचा न था।५
चाल थी मेरी सही पर जीत उनकी हो गई,
हारना ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।६
जिनके सहारे हम चले थे वो ही मुकर गए,
आसरा ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।७
ख्वाब सारे सुबह तक मिट जाएंगे ‘मिलन’
जागना ऐसे भी होगा ये कभी सोचा न था।।८
मिलन ” मोनी “