Archive | December, 2020

Ishq Kiya

10 Dec

” इश्क किया “

उनकी हर खता से इश्क़ किया हमने

उनकी हर अदा से इश्क किया हमने !

उनकी नाज़ुक मिज़ाजी क्या बताएं

उनकी हर बला से इश्क किया हमनें !

ख़ुद से भी बे-बफायी तक की मगर

उनकी हर बफा से इश्क किया हमनें !

सातों कलाओं का भी हुनर है उसमें

उसकी हर कला से इश्क़ किया हमने !

मेरे दिल जिगर में समायी वो ऐसे के

उसकी हर रिदा से इश्क किया हमने !

कौन सी मर्जे-दवा बन जाए ‘मिलन’

उसकी हर दुआ से इश्क किया हमनें !!

मिलन “मोनी”

Udhaar

10 Dec

उधार की है ज़िन्दगी कर्ज है बहुत

दुनिया यह सारी खुदगर्ज है बहुत !

किफायत से रखना ये दौलत तुम

ईमान है कम और खर्च है बहुत !

ये ज़िम्मेदारियां खुद सिमट जाएं

अकेला है आदमी फ़र्ज़ है बहुत !

बेबफाई की कुछ साज़ाएं होती

नाम तो शिकायतें दर्ज़ है बहुत !

बातों में कभी आना न ‘मिलन’

सलाह कोई नहीं तर्ज है बहुत !!

मिलन “मोनी”

Aaja zara

9 Dec

” आजा जरा “

रात ढलती रही,

प्यास बढ़ती रही,
मेरी बाहों में आजा ज़रा !

चांद निकला अभी,

चांदनी आ खिली,
मेरे ख्वाबों में आजा ज़रा !!

मुझे नींद आती नहीं बिस्तरों पर,
पलकें बिछाया करो,
फीकी सी लगने लगीं है दीवारें,
सपने सजाया करो !
है हुस्न तुम्हारा बहुत खूबसूरत,
आंखों में ठहरा करो,
नजर भर के तुमको देखा करूं में,
आंचल हटाया करो !

सजने संवरने की क्या है ज़रूरत,
वक्त पर ही आजा ज़रा !
इन बाहों में आजा ज़रा !!

कोई शिकवा नहीं,
कुछ शिकायत नहीं,
उलझनें सुलझाया करो,

बदली में चंदा ये जांचता नहीं,
जुल्फो को संवारा करो !
जो होंठ नहीं कहते,
इशारों से सुनाया करो,
इश्क से बढ कर कोई,
इबादत न बताया करो !

झूठे बहानों की क्या है ज़रूरत,

नजदीक आजा ज़रा !!

इन बाहों में आजा ज़रा !!

रात ढलती रही,

प्यास बढ़ती रही,

बाहों में आजा ज़रा ,!!

मिलन “मोनी”