Archive | January, 2018

Badal Gaya

27 Jan

वक़्त बदलते बदलते खुद बदल गया
अब कह रहा है के ज़माना बदल गया !

बदला यह समां न बदला कभी प्यार
देखते देखते मगर मौसम बदल गया !

न बदला आसमां न बदली कहीं ज़मीं
पर ज़िंदगी का सारा मंज़र बदल गया !

बदला कभी हुस्न न बदला कहीं इश्क
इंसान देखने का नज़रिया बदल गया !

अमीर कहीं बदला ना गरीब ही बदला
दोनों के बीच बस फासला बदल गया !

यह आदमी बदला न औरत ही बदली
आपस का शायद ये रिश्ता बदल गया !

बदल गये हम तुम इस तरह ‘मिलन’
के धीरे धीरे सही सब कुछ बदल गया !!

मिलन “मोनी” २७/०१/२०१८

Ho Gaya Agar

23 Jan

” हो गया अगर ”

वो दूर इतना मुझसे जो हो गया अगर,
उनको तलाशने में मैं ही खोगया अगर !

लाये थे ज़िन्दगी में बड़ी यकीन से उसे,
किस्मत पर अपनी ही मैं रोगया अगर !

खुशियों से संवारा है अपने गमको मैंने,
दर्द राहों में मेरी जो कोई बो गया अगर !

भटक ना जाए सितारों की बरात आज,
चांदनी की गोद में मैं जो सोगया अगर !

दर्द मिटाने के लिए पी रहा हूं शौक से,
जाम मेरा ज़ख्म कहीं जो धो गया अगर !

इस पार सजाया ‘मिलन’ घर को मैंने,
इधर न आ के वो कहीं उधर गया अगर !!

मिलन ” मोनी ”

Kaheen Ki Kaheen

19 Jan

” कहीं की कहीं “

ज़माने की अफवाहें अब कहीं की कहीं हैं,
जिस मोड़ पे बिछड़े थे हम अब भी वहीं हैं !

तरकश के हर तीर को नाप तौल कर देखा,
नज़रों की तरह शातिर कोई तीर ही नहीं हैं !

सोहनी-महिवाल हो या हीर-राँझा हमें क्या,
मेरी हर कहानी में बस तेरी बातें ही रहीं हैं !

खुद मेरे बश में नहीं रहतीं हैं खवाइशें मेरी,
अब ये दिल है कहीं और हमभी तो कहीं हैं !

आँखों से बात करना अब छोड़ दो “मिलन”
जब कभी इनसे बातें करीं हैं ये बस बहीं हैं !!

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Tanz

13 Jan

हुस्ने कातिल पे गुरूर इतना न कीजिये
अपनों से बेवजह यूँ किनारा न कीजिये !

मिलो भले ही रोज़ लेकिन ये ध्यान रहे
जुदायी का वक़्त कहीं ज़्यादा न कीजिये !

जितना डालोगे गुड़ उतना ये होगा मीठा
हद से ज़्यादा घुलना मिलना न कीजिये !

तंज़ करने में लुत्फ़ मिलता बहुत मगर
हर बात को ही तंज़ में उड़ाया न कीजिये !

यह प्यार का बंधन ही कहीं टूट न जाए
रिश्तों की इस डोर को खींचा न कीजिये !

मुश्किलों से कोई अपना होता है ‘मिलन’
रिश्ते की मिठाई को जहरीला न कीजिये !!

मिलन “मोनी”