” जाल “
संसद में फेंका गया इक जाल है,
फंसे नेता जिनकी मोटी खाल है।१
हर विरोधी मिलके ये कहने लगा,
गोलमाल है जी सब गोलमाल है।२
एक हाथ हवाला एक में शराब,
पढ़े लिखे अनपढ़ों का कमाल है।३
न हींग लगे न ही लगे फिटकरी,
रंग फिर भी चोखा ये तो धमाल है।४
हर आम आदमी का ये सवाल है,
झाड़ू के साथ क्या केजरीवाल है।५
कहें ‘मिलन’ कविराय इस देश में,
नेताओं की बड़ी बेढंगी चाल है।।६
मिलन “मोनी”