” जा रही है “
उम्र की शमा है जो जली जा है,
वक्त की हवा है जो चली जा रही है ।
सुहानी सुबह का रहता है इंतजार,
बे-दर्द रात है जो ढली जा रही है ।
लोभी नेता देश की लूट रहे दौलत,
नादान है जनता जो छली जा रही है ।
जितनी गंगा जमुना तहजीब बहेंगी,
उतनी ही नफरतें मन में पली रहीं है ।
हो रही है अपनी हर कोशिस नाकाम,
यही बात दिलों को खली जा रही है ।
शराब के पैमाने भरे हैं इन आंखों में,
प्यास है के होंठों पर चढ़ी जा रही है।
ना तुमने कुछ कहा ना मैने कुछ कहा,
खामोशियों में बात अब टली जा रही है ।
दिलों में गिले शिकवे नहीं रहे ‘मिलन’
अब दाल मोहब्बत की गली जा रही है ।।
मिलन * मोनी “
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