Tag Archives: कविता

Chingari

21 May

” चिंगारी “

कहीं तो आग थी,

जहां से एक चिंगारी उठी,

कहीं से कुछ हवा चली,

एक और आग भड़क उठी ।

कुछ समय बीत चला,

हवा तो गुजर गई जाने किस ओर,

अपनी धुन में,

चिंगारी भी राख हो गई,

खाक में मिल कर ।

लेकिन,

उस घर का क्या ?

जिसकी जड़ें तक सुलग गईं ।।

कैसे उठी चिंगारी ?

कहां बहा ले गई हवा ?

किसका घर जला ?

इससे कोई मतलब नहीं,

इसका कोई मतलब नहीं,

मतलब तो बस इतना है,

जो घर जल गया,

बनेगा कैसे ?

जो रिश्ता टूट गया,

जुड़ेगा कैसे ?

यूं तो वक्त,

बड़े बड़े घाव भर देता है,

अनजाने में लगे जख्म भी,

सी देता है ।

पर पश्चाताप के आंसू,

बड़े बड़े गम के पहाड़ों को भी,

पिघला देता है ।

कभी कभी भावावेश में,

या किसी खुमारी में आकर,

कुछ ऐसा हो जाता है,

जिसकी इजाजत,

किसका दिल नहीं देता है ।

लेकिन देर सवेर,

उसका एहसास,

दिल झकझोड़ जाता है ।

क्या करें,

क्या न करें,

दिल समझ नहीं पाया है ।

अगर कोई अंजान है तो,

उसे वक्त पर छोड़ देना

बेहतर होता है ।

अगर कोई अपना है तो,

उसे मना लेना ही,

बेहतर होता है ।।

मिलन ” मोनी “

30 January

31 Jan

” ३० जनवरी “

जानता हूं मैं,

महापुरुष सब,

अजर, अमर, अविनाशी होते,

और समय के रथ के पहिए,

उनकी बाहों में हैं सोते,

उनके एक इशारे पर ही

युग का दीप जला करता था,

काल चक्र उनके चरणों की

गति के साथ चला करता था ।

राम, कृष्ण और परमहंस,

महावीर, गौतम या नानक,

विवेकानंद, पटेल, तिलक,

जवाहर लाल या हों वो गांधी

इनका एक एक शब्द समाज को,

नई दिशा दिया करता था,

मुश्किल से मुश्किल वक्त भी,

हंस हंस कर टल जाता था ।

किंतु आज के दिन अचानक,

गांधी अंतर्ध्यान हो गए,

युग को प्रकाशित करने वाले

अंधेरों में खुद खो गए ,

अपने में एक युग समेट गए ।

राजनीति के वट वृक्ष से,

सत्य और अहिंसा उखाड़ ले गए ।

अब न विश्वास बचा है, न ही न्याय,

आज शरीर से प्राण जुदा थे,

पर गांधी मरे नहीं थे।

झूठ नहीं मैं सच कहता हूं,

गांधी की हत्या होती है,

मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में,

सांसद भवन और बाजारों में,

पत्र, पत्रिकाओं, और अखबारों में,

दफ्तर के गलियारों में

विश्व विद्यालय और पुस्तकालयों में,

राजनीति के हर मंचों पे ।

बुरा न मानो सच कहता हूं,

गांधी के हत्यारे तुम हो

गांधी की हत्यारे हम हैं ।

अगर नहीं हो हत्यारे तो,

अपना अपना मन टटोलो,

और कसम खाओ वतन की

मर जाने दो भ्रष्ट समाज को,

गांधी को जिंदा रहने दो !

गांधी को जिंदा रहने दो !!

मिलन ” मोनी ”

Gaya So Gaya

19 Oct

” गया सो गया “

आयना जुड़ता नहीं, जो टूट गया सो टूट गया,

सफ़ीना बनता नहीं, जो डूब गया सो डूब गया ।

दौलत प्यार की या आबरू हस्तिये मशहूर की,

खजाना जमता नहीं, जो लूट गया सो लूट गया ।

रिश्तों का बंधन हो या मंजिल तक का रास्ता,

कारवां बनता नहीं, जो छूट गया सो छूट गया ।

दोस्ती की नाव चले या हो वास्ता ए मोहज्जब,

फासला घटता नहीं, जो रूठ गया सो रूठ गया ।

जिंदगी और वक्त का है अजीब हिसाब किताब,

वायदा निभता नहीं, जो भूल गया सो भूल गया ।

हिटलर आए स्टालिन आए या आए सद्दाम जी,

कायदा चलता नहीं, जो टूट गया सो टूट गया ।

दर्द हो दिल का ‘मिलन’ या आंख के आंसू हों,

गागरा छलका नहीं, जो फूट गया सो फूट गया ।।

मिलन ” मोनी “

Naata

30 Sep

” नाता “

जो कबूतर तेरी छत से उड़ कर आता है,

वही कबूतर तुझ तक मेरे खत पहुंचाता है ।

जो बादल आंखों से मेरे अश्क चुराता है,

वो ही बादल तेरे आंगन बारिश लाता है ।

जो भी रस्ता मुझको तेरे घर तक लाता है,

वही रस्ता तुझको मुझतक लेकर आता है ।

जो हवा का झोंका तेरी खुशबू उड़ाता है,

वही झोंका रात मेरी खिड़की से आता है ।

जो चंदा हर शब तुम्हारी छत पे आता है,

वही चंदा मेरे आंगन चांदनी बरसाता है।

लगता है तेरा मुझसे सदियों का नाता है,

इसलिए ‘मिलन’ वक्त तेरे संग गुजरता है।।

मिलन ” मोनी”

Do Badan

2 Apr

” दो बदन ” २७/१२/ १९६७

दो पल गम, दो पल खुशियां,

हर सूरत में, नम हों अंखियां ।

दो चरण बढ़े, दो नयन उठे,

दो लम्हों में दिल धड़क उठे ।

दो राह मिलीं, दो चाह मिलीं,

दो होंठ यूं ही, मुस्कुरा उठे ।

दो बात हुयी, दो सुख दुख बंटे,

दो सांसों में, जिस्म चहक उठे ।

दो बाह खुलीं, दो प्यार मिले,

दो फूल खिले, औ महक उठे ।

दो दिन भी कटे, दो रात कटीं ,

दो प्यास बुझी, दो कसक मिटी ।

दो उम्र ढलीं, दो सांस घुटीं,

दो शाखों पर, दो फूल झड़े ।

दो चिता जलीं, दो कब्र बनीं,

दो आंखों से, दो अश्क बहे ।

दो गीत लिखे, दो ग़ज़ल लिखीं,

दो जिस्म ‘मिलन’, उस पार हुए ।।

मिलन “मोनी”

०२/०४/२०२१

Andaaze Zindagi

30 Mar

” अंदाजे जिंदगी “

हार जाने वाले, हारने का ग़म न कर

नजर फेर, फिर देखने का ग़म न कर,

राह में आए कांटों से क्यों डर गए हो

चुभ गए है तो आवले का ग़म न कर ।१।

शूल आखिर शूल है, वो पुष्प नहीं है

दीवार एक दीवार है, मंजिल नही है,

जिंदगी की ओर तो देख लेना यारों

दो घड़ी जिंदगी फिर मिलती नहीं है ।२।

एक रंग से कभी तो, तस्वीर बनती है

एक तस्वीर कितने ही, रंग बदलती है,

पैरों तले कुचले गए इंसान से कभी यूं

कोई बहुत बिगड़ी हुई बात बनती है ।३।

रात आती है, और यूंही गुजर जाती है

सहर आती है, और यूंही गुजर जाती है,

कोई हंस कर गुजरता है, कोई रो कर

हंसते रोते यूंही जिंदगी गुजार जाती है ।४।

जिंदगी के साज पे, ग़ज़ल गा के देखिए

गम के सागरों में जरा, डूब करके देखिए,

शायर की जिंदगी तो, शायराना होती है

इन गमों में भी जरा, मुस्कुरा के देखिए ।५।

वह क्या करेगा जिसे, जीने का अरमां नहीं

प्यार क्या करेगा अगर, खुदाई से प्यार नहीं,

कुछ खो कर ही, कुछ मिलता है जहान में

क्या पाएगा, जिसे खोने का एहसास नही ।६।

दुनिया ऊंचा किसी को, उठाती नहीं है

उसकी मेहनत उसको, झुकाती नहीं है,

जो चलता है, वही ठोकर भी खाता है,

ये ठोकरें उसको कभी, गिराती नहीं हैं ।७।

जख्म कोई, छोटा या बड़ा नहीं होता

शब्द कोई, खोटा या खरा नहीं होता,

बोलने के बाद, ऐसा न सोचना पड़े

के काश, हमने ऐसा कहा नहीं होता ।८।

इश्क और मुश्क, छुपाए नहीं छुपता

भूख और प्यास, बुझाए नहीं बुझता,

एक ही डाल पर, खिलता है लेकिन

फूल को कांटा, चुभाए नहीं चुभता ।९।

जानते हैं जिनको, हम पहचानते नहीं

पहचानते है जिनको, उन्हें जानते नहीं,

अजीब कश्मकश है, रिश्तों के दरमयां

कहीं अपनों को भी, अपना मानते नहीं ।१०।

इंसान वो है, जो खुद को पहचान जाए

गम लेकर खुद, खुशियों को बांट जाए,

खुद ब खुद खुशियां तो मिलती नहीं हैं

सुखी वही है जो, मुश्किलें आसां बनाए ।११।

मुश्किलें इंसान का, दिल आजमाती हैं

जिन्दगी की , मजबूरियां आजमाती है,

इस अंदाजे जिंदगी को देखले ‘मिलन’

हर नजर तेरी, इंसानियत आजमाती है ।१२।।

मिलन “मोनी ” çomposed in 1968,edited 30 /3/2021

Anjaam

26 Nov

” अंजाम “

ज़िन्दगी जीने का ही जो नाम है

फिर मौत ही क्यों कर अंजाम है ।

परवाना शम्मा से दूर नहीं रहता

उस जलने से भी डर नहीं रहता,

मोहब्बत की यह एक मिसाल है

यही दीवानगी नाहक बदनाम है ।

यह ज़िन्दगी जीने का ही नाम है ।। १

अपना दिल निछावर कर चुका हूं

यकीनन मै तुझ पर मर मिटा हूं ,

मेरे इश्क की तुम सेहर शाम हो

तेरा इकरार ही प्यार का मुकाम है ।

यह ज़िन्दगी जीने का ही नाम है ।। २

बहारों में ही फूल खिला करते है

इनसे भवरे जाकर मिला करते है ।

कुदरत का यह चलन बेमिसाल है

ये दोनों का अपना अपना काम है ।

यह ज़िन्दगी जीनें का ही नाम है ।। ३

यह ज़िन्दगी जीने का ही नाम है

फिर मौत ही क्यों कर अंजाम है ।।

मिलन “मोनी”

Karona

21 Nov

” करोना “

हे जगत के पालनहार

मेरी विनय सुन लीजिए,

किसी तरह यह वैतरणी

पार ही कर दीजिए ।

मैं नहीं डरता अभी

गरीब या धनवान से,

मैं नहीं डरता कभी

मालिक या सरकार से ।

लगा रहता था हमेशा

मैं तो अपने काम से ,

पर रूह मेरी कांपती है

अब करोना के नाम से ।

हाथ धोना, मास्क लगाना

दूरियां दो गज बनाना,

चैन से सोना नहीं

न सुकून से जागना ।

न मिलना मिलाना, न जशन कोई

न खाना पिलाना, न फैशन कोई ,

बनी अलग सी लाइफ है

न प्यार मोहब्बत, न इमोशन कोई ।

न काम काज चल रहा

बाज़ार, आफिस मंद अभी,

न सिनेमा न पिकनिक कोई

स्कूल कालेज बंद सभी ।

न सैर सपाटा, न प्रमोशन है

न रास्ता, न सॉल्यूशन है,

न मस्ती पहले जैसी रही

के हर शय पर राशन है ।

जो खासे तो असर लगता है

कोई छींकें तो डर लगता है,

हर कोई इक दूजे पर

शक की नजर रखता है ।

नाश हो उस जात का

जिसने करोना फैलाया,

इन्सानियत के नाम पर

यह कलंक पहुंचाया ।

अब तो धर्म के नाम से ही

विशवास सा उठ गया है ,

धर्म गुरुओं का भी सारा

अब भेद खुल गया है ।

कहने को दुनिया में

चौदह खास धरम हैं,

सभी के अपने उसूल

अपने अपने करम है ।

पंडित, मौला, पादरी

बौद्ध, गुरु ग्रंथ, यहूदी,

सब के सब नाकाम रहे

करोना के शिकार रहे ।

सोचती है दुनिया आज

क्या चल रहा है,

सब कुछ रुक गया है

बस करोना चल रहा है ।

आ गया तेरी शरण

इस वायरस से हार कर,

मार कर करोना को

ज़िन्दगी आज़ाद कर ।।

हे जगत के पालनहार

यह विनय सुन लीजिए ।।

मिलन “मोनी”

२१/११/२०२०

Tum Kya Samjho…(yugal geet)

27 Feb
पुरूष

तुम जो भी हो…प्रिये मेरी हो,
जैसी भी हो…..प्रिये मेरी हो,

स्त्री
तुम जो भी हो…प्रिये मेरे हो,
जैसी भी हो…….प्रिये मेरे हो,
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पुरूष
मेरे रोम रोम, मेरी सांस सांस में, रची बसी तेरी ही महक,
मेरी नींद नींद, मेरे स्वप्न स्वप्न में,तेरी छबि मनमोहक,
मेरी रूह रूह में, मेरी धड़कन की राग राग में,तेरी ही मूरत,
मेरी नज़र नज़र,मेरे गीत गीत, मेरे संगीत में,तेरी ही सूरत,
जितना प्यार, जितना दुलार, जितना अपना पन है तुझमे,
तुम जो सोचो, तुम जो समझो,
तुम जो भी हो…प्रिये मेरी हो,

जैसी भी हो…….प्रिये मेरी हो,
स्त्री
रूप सलोना, माथे की बिंदिया, चूडी की खन खन, सब तुझसे ही हैं,
आँखों का कजरा,जुल्फों का गजरा,पायल की छन छन,सब तुझसे हैं,
होंठों की लाली,हाथों की मेहँदी, पाँव की महावर की पहचान तुझसे है,
मेरे आँचल का मान सम्मान, मेरी मुस्कुराने का कारण भी तुमसे है,
कितना प्यार, कितना दुलार, कितना अपना पन है तुझमे,
तुम क्या सोचो, तुम क्या समझो,
तुम जो भी हो…प्रिये मेरे हो,

जैसी भी हो…….प्रिये मेरे हो,
पुरूष और स्त्री
हम है साथ साथ, प्रिय जैसे यह धरती और आकाश,

एक नदी की धारा जैसे, कभी किनारा कभी मझधार,
एक ही उपवन में खिलते हों,बेला चमेली और गुलाब,
कभी हों गलियां सूनी सूनी कभी बरसती हों मुस्कान,

रब कितना प्यार,दुलार मिला है, एक दूजे का हमको,
कोई क्या जाने, कोई क्या समझे,
हम जो भी हैं….बस तेरे हैं,
जैसे भी हैं …….बस तेरे हैं.।।

मिलन ” मोनी “

Meri Dua

10 Dec

मुबारक तुम्हें यह नयी ज़िन्दगी हो,

क़दमों पर तेरे ख़ुशी ही ख़ुशी हो

कितना सुंदर, कितना पावन, यह रिश्ता है प्यार का,

एक हुए हैं, दो तन मन से, खिला सुमन श्रृंगार का,

सोचा था जितना, उतना कर न सका मैं,

चाहां था जैसा, वो कह न सका मैं,

कर देना क्षमा, अगर कुछ कमी रह गयी हो,

मुबारक तुम्हें यह नयी ज़िन्दगी हो. ( १ )

हर घडी सुनहरी लगती होगी, हर शाम लगेगी अंगूरी,

चढते यौवन की तुझको यह रात मिली है सिन्दूरी,

हर पल अपने जीवन में चिर स्नेह बनाय रखना,

आपस के प्यार पर बस विशवास बनाय रखना,

बहुत प्यारी, बहुत चंचल, बहुत खुशनुमा है तू,

नाजों में पली,अनमोल हीरे की कनी है तू,

जहाँ तू रहे वहीं आशिकी हो,

मुबारक तुम्हें यह नयी ज़िन्दगी हो. ( २ )

भारी ह्रदय से हमने तेरा कन्यादान किया है,

सुख समृधि से रहने का आशीर्वाद दिया है,

नया अध्याय यह जीवन का,हर पृष्ठ संभल कर पढना है,

दिल किसी का दुःख न जाए, उन बातों से बचना है,

अब एरामिली परिवार का, नया अनुराग है तू,

हम सब के लिए  तो ईश्वर का एक वरदान है तू,

अब जहाँ भी तू रहे, वहीं रौशनी हो .

मुबारक तुम्हें यह नयी ज़िन्दगी हो ( ३ )

मुबारक तुम्हें यह नयी ज़िन्दगी हो,

क़दमों पर तेरे ख़ुशी ही ख़ुशी हो.

हमेशा खुश रहो , सुखी रहो      ( मिलन ५. १२. २०१४ )