Archive | June, 2021

O Sanam

30 Jun

” ओ सनम “

कुछ हंसो और कुछ हंसाओ सनम,

कुछ मेरी सुनो कुछ सुनाओ सनम ।

दिल मेरा नहीं है, है ये घर आपका,

दिल करे कभी आओ जाओ सनम ।

याद आऊं कभी जो किसी रात में,

चांद बन मेरी छत पर आओ सनम ।

जरा हमको नजदीक आने तो दो,

हमपे तिरछी नजर न डालो सनम ।

लगा जाए कहीं आयना ही नजर,

इतना बनसंवर के न आओ सनम ।

सुकूने शहनाई हमेशौ बजती रहे,

रूठ जाऊं अगर मैं मनाओ सनम ।

आज रात रंजो गम में गंवाओ मत,

गजलें हुस्नों इश्क की गाओ सनम ।

मिलन से मिलन में मिलन है खुश,

ख्वाब मिलन ही के सजाओ सनम ।।

मिलन ” मोनी ”

Aagman

29 Jun

” आगमन “

तेरे हरेक तंज में कांटों सी चुभन है,

उजड़ा उजड़ा सारा लगता चमन है। १

जो जला देती है तन और बदन को,

कुछ और नहीं ये दिल की जलन है ।२

परिंदों की आवा जावी की खातिर,

एक मुनासिब डगर ये नील गगन है ।३

दीदार हुआ है तेरे हुस्न का जब से,

सीने में मोहब्बत की लगी अगन है ।४

आलूदगी का दुनिया में ये अलम है,

पीने को साफ पानी न ही पवन है ।५

बे-बफाई का हम पर इल्जाम देना,

हुस्नवालों का आशिकों पे दमन है ।६

दो बोल गर मीठे बोलो ‘मिलन’ तो,

महफिलों में स्वागत तेरा आगमन है।।७

मिलन ” मोनी “

Uljhan

25 Jun

” उलझन “

बच्चा रोने पे आय तो उलझन तो होती है,

खाना ही न खाय तो उलझन तो होती है ।

मौज मजे कर, देर रात को घर आए और,

चाबी गुम हो जाएं तो उलझन तो होती है ।

शादी की महफिल में नाचते नाचते सही,

पैंट गर फट जाए तो उलझन तो होती है ।

शानदार और नए नए आफिस में जाकर,

जूता नया चर्राय तो उलझन तो होती है ।

जाना पहचाना मेहमान भी घर आए,

देर तक न जाए तो उलझन तो होती है ।

अभिनेता जैसे राजनेता आयने के सामने,

खुद को झूठा पाए तो उलझन तो होती है ।

जाने या अंजाने छोटी सी किसी बात पे,

दोस्त दुश्मन हो जाए उलझन तो होती है ।

रूखा सूखा मौसम, अनमना सा वक्त रहे,

मन को कुछ ना भाए उलझन तो होती है ।

एक जिद को बार बार नाकारा पर सनम,

वो ही गाना गाए तो उलझन तो होती है ।

बिछड़ कर इतने दिनों बाद मिले ‘मिलन’

ना बिस्कुट ना चाय हो उलझन तो होती है ।।

मिलन ” मोनी “

Khaar

5 Jun

” खार “

मैं धूप में निकला तो पांव जलने लगे,

और छांव में बैठा तो पेड़ झड़ने लगे ।

खामोश इतना देख कर समंदर को,

सफीने तक लहरों से अब डरने लगे ।

खिरद के रास्ते चलना था मुश्किल,

सो हम जुनू की राह पर चलने लगे ।

कहना तो था बहुत पर कहा नहीं,

सर्द झोंको से मेरे दांत बजने लगे ।

चाहो कुछ पर हुआ कुछ और ही,

मन में आज तो सवाल उठने लगे ।

बाग लगा कर क्या मिलेगा मिलन’
फूल की जगह जो खार उगने लगे ।

मिलन ” मोनी “

Insaan Ko Insaan

1 Jun

” इंसा को इंसा “

इंसा को इंसा जब तक बनाया न जाएगा,

पौधा सुकूं का तब तक लगाया न जाएगा ।१

अब पत्थर को जब तक तराशा न जाएगा,

बुत-ए-इबादत तब तक बताया न जाएगा ।२

एक हाथ से देना और एक हाथ से लेना,

सौदा ये हाथों हाथ कभी ज़ाया न जाएगा ।३

उठ गए कदम जब अंजान राहें-शौक पर,

इल्जाम किसी और पर लगाया न जाएगा ।४

रात दिन इम्तेहान सा रहता है जिंदगी भर,

ता-उम्र नतीजा जिसका बताया न जाएगा ।५

नजर खोल देती है वो राज़े-दिल ‘मिलन’,

ज़िक्र जिनका जुबान पर लाया न जाएगा ।।६।

मिलन ” मोनी ”