Pasand Nahi

22 Sep

” पसंद नहीं “

इश्क के नाज नखरे तो मुझे पसंद नहीं,

ये आशिकी जिंदगी में मुझे पसंद नहीं ।

निकलीं हैं शायरों की कलम से गजलें,

मिसरे हैं लाजवाब पर मुझे पसंद नहीं ।

मोहब्बत की आग हर तरफ लगी हुई,

ये आतिशी मौसम है मुझे पसंद नहीं ।

बरसात का आलम होता है दिलकश,

पर आंसुओं की बारिश मुझे पसंद नहीं

एक आसान तरीन रस्ता इश्क में बनाते,

समझौतों की कुछ शर्तें मुझे पसंद नहीं ।

अमीर खेतों में उगती है गरीबी ‘मिलन’

इंसानों में इतने फासले मुझे पसंद नहीं ।।

मिलन ” मोनी “

Leave a comment