” आगमन “
तेरे हरेक तंज में कांटों सी चुभन है,
उजड़ा उजड़ा सारा लगता चमन है। १
जो जला देती है तन और बदन को,
कुछ और नहीं ये दिल की जलन है ।२
परिंदों की आवा जावी की खातिर,
एक मुनासिब डगर ये नील गगन है ।३
दीदार हुआ है तेरे हुस्न का जब से,
सीने में मोहब्बत की लगी अगन है ।४
आलूदगी का दुनिया में ये अलम है,
पीने को साफ पानी न ही पवन है ।५
बे-बफाई का हम पर इल्जाम देना,
हुस्नवालों का आशिकों पे दमन है ।६
दो बोल गर मीठे बोलो ‘मिलन’ तो,
महफिलों में स्वागत तेरा आगमन है।।७
मिलन ” मोनी “
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