Uljhan

25 Jun

” उलझन “

बच्चा रोने पे आय तो उलझन तो होती है,

खाना ही न खाय तो उलझन तो होती है ।

मौज मजे कर, देर रात को घर आए और,

चाबी गुम हो जाएं तो उलझन तो होती है ।

शादी की महफिल में नाचते नाचते सही,

पैंट गर फट जाए तो उलझन तो होती है ।

शानदार और नए नए आफिस में जाकर,

जूता नया चर्राय तो उलझन तो होती है ।

जाना पहचाना मेहमान भी घर आए,

देर तक न जाए तो उलझन तो होती है ।

अभिनेता जैसे राजनेता आयने के सामने,

खुद को झूठा पाए तो उलझन तो होती है ।

जाने या अंजाने छोटी सी किसी बात पे,

दोस्त दुश्मन हो जाए उलझन तो होती है ।

रूखा सूखा मौसम, अनमना सा वक्त रहे,

मन को कुछ ना भाए उलझन तो होती है ।

एक जिद को बार बार नाकारा पर सनम,

वो ही गाना गाए तो उलझन तो होती है ।

बिछड़ कर इतने दिनों बाद मिले ‘मिलन’

ना बिस्कुट ना चाय हो उलझन तो होती है ।।

मिलन ” मोनी “

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