“पता था “
क्या पता था
सब पता था ।
महजबीं का
घर पता था।
ज़माने का
डर पता था।
इंसाफ़ का
दर पता था ।
दुश्मनों का
सर पता था ।
आंसुओं का
झर पता था ।
मुस्काने का
ढंग पता था ।
मोहब्बत का
अब पता था।
रुसवाई का
कब पता था ।
जब पता था
तब पता था ।
‘ मिलन’ का
रंग पता था ।।
मिलन “मोनी” 11/8/20