Andhera

10 Jan

” अंधेरा “

जख्म देना गर फितरत है ज़माने की,

तो हमको भी आदत है मुस्कुराने की ।१

लोगों को महारत है आग लगाने की,

हमारी भी हसरत है आग बुझाने की ।२

समंदर की दहशत है लहर उठाने की,

हमारी भी बहशत है किनारे लगाने की ।३

नही कोई रहता किसी के साथ हमेशा,

क्या जरूरत फिर रिश्ते आजमाने की ।४

दुनिया छिड़क देगी नमक ज़ख्मों पर,

सज़ा मिलेगी अपने घाव दिखाने की ।५

रास्ता मंजिल तक पहुंच ही जाएगा,

सही बात है पहला कदम बढ़ाने की ।६

वो रात शायद आखिरी रात हो मेरी,

तेरी फुरकत में एक रात बिताने की ।७

फरियाद करो तो बस खुदा से करो,

इंसान के आगे नहीं हाथ फैलाने की ।८

इश्क से बढ़ के कोई दौलत नहीं है,

यही हकीकत है प्यार के फसाने की ।९

बस सूरज की तरह उगना ‘मिलन’,

ठान ली तूने जो अंधेरा मिटाने की ।।१०

मिलन ” मोनी “

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