Aam Aadmi

24 Dec

” आम आदमी “

आम आदमी आदमी को खटक रहा है,

हर आदमी अपने रास्ते से भटक रहा है ।

यहां ज़माना तो मशगूल है सियासत में,

एक तबका दूसरे का हक़ झटक रहा है ।

कौन घर घर अनाज पहुंचाएगा देश में,

किसान खुद को फंदों पर लटका रहा है ।

हिदू मुस्लिम ईसाई धर्म में कौन बड़ा है,

सवाल युगों से आजतक लटक रहा है ।

भ्रष्ट नेता लूटते रहे देश की यह दौलत,

आम आदमी अपना सिर पटक रहा है ।

माल मलाई ‘मिलन’ खा रहे दौलत वाले,

गरीब यहां पे रूखा सूखा गटक रहा है ।।

मिलन ” मोनी “

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