” मुश्किल से “
सुकुने दिल का मरहम बड़ी मुश्किल से मिलता है,
स्वार्थी किसीके प्यार में बड़ी मुश्किल से ढलता है ।
हजारों ही मुसाफिर मिलते जीवन पथ पर लेकिन,
साथी उम्र भर का कोई बड़ी मुश्किल से चलता है ।
दिए जलते हैं अंधेरों में करने कुछ तो रोशनी पर,
दीपक आंधियों में कोई बड़ी मुश्किल से जलता है ।
हाथ बड़ा कुदरत का है जीवन के सुख दुख में पर,
खतरा वक्त का हरवक्त बड़ी मुश्किल से टलता है ।
कहते है कि नेकी कर और दरिया में डाल क्योंकि,
नेकी करने का फल तो बड़ी मुश्किल से फलता है ।
रेगिस्तानों में उग आते हैं बहुत से झाड़ कंटीले पर,
गर्म सहरा में कोई गुल बड़ी मुश्किल से खिलता है ।
अपनी अना के चलते लुटा देते हैं मोहब्बत तक,
नशा शानो शौकत का बड़ी मुश्किल से हिलता है ।
ख्वाबों की यूं तो कोई एहमियत नहीं है ‘मिलन’,
कोई सपना हकीकत में बड़ी मुश्किल से पलता है ।।
मिलन ” मोनी “
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