Mushkil Se

2 Dec

” मुश्किल से “

सुकुने दिल का मरहम बड़ी मुश्किल से मिलता है,

स्वार्थी किसीके प्यार में बड़ी मुश्किल से ढलता है ।

हजारों ही मुसाफिर मिलते जीवन पथ पर लेकिन,

साथी उम्र भर का कोई बड़ी मुश्किल से चलता है ।

दिए जलते हैं अंधेरों में करने कुछ तो रोशनी पर,

दीपक आंधियों में कोई बड़ी मुश्किल से जलता है ।

हाथ बड़ा कुदरत का है जीवन के सुख दुख में पर,

खतरा वक्त का हरवक्त बड़ी मुश्किल से टलता है ।

कहते है कि नेकी कर और दरिया में डाल क्योंकि,

नेकी करने का फल तो बड़ी मुश्किल से फलता है ।

रेगिस्तानों में उग आते हैं बहुत से झाड़ कंटीले पर,

गर्म सहरा में कोई गुल बड़ी मुश्किल से खिलता है ।

अपनी अना के चलते लुटा देते हैं मोहब्बत तक,

नशा शानो शौकत का बड़ी मुश्किल से हिलता है ।

ख्वाबों की यूं तो कोई एहमियत नहीं है ‘मिलन’,

कोई सपना हकीकत में बड़ी मुश्किल से पलता है ।।

मिलन ” मोनी “

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