Aabhaas

30 Jun

” आभास “

दिखता है पर साफ साफ नहीं,

कानून तो है मगर इंसाफ नहीं ।

दोस्त अगर, तो सब चलता है,

पर दुश्मन को कुछ माफ नहीं ।

कभी बदल जाए यहां मौसम,

किसीको कुछभी एहसास नहीं ।

है नैय्या बीच भंवर फसी और,

खुद नाविक पर विशवास नहीं ।

कुछ महल दु महलेे इनके पास,

पर अच्छा रहने को आवास नहीं ।

वक्त कितना तो बदला है ‘मिलन’

खुद इतना भी हमें आभास नहीं ।।

मिलन ” मोनी “

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