” कैसे “
याद दिल ही से न जाए तो भुलाऊं कैसे,
यार घर से निकल जाए तो बुलाऊं कैसे ।
होश में रह कर भी मदहोश हो जाते है,
ख्वाबों से वो जज्बात मैं जगाऊं कैसे ।
जागते होने पर सोने का बहाना करना,
नींद से ऐसे गुनाहगारों को उठाऊं कैसे ।
फूल मैय्यत से उनके जो उठाए हमने,
अब घर उन्ही फूलों से सजाऊं कैसे ।
मेरी सूरत में उनका अक्स नजर आए,
आंख आयने से अपनी मैं बचाऊं कैसे ।
कब से ढूंढ रहा ‘मिलन’ पर मिला नहीं,
दिल को अपने सुकून मैं दिलाऊं कैसे ।।
मिलन ” मोनी “
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