” हमसफर “
गुलों के हम सफर ही खार मिले,
जिंदगी में ऐसे भी किरदार मिले ।
रास्ता सहरा का है तवील बहुत,
बीच राह शायद कहीं बहार मिले ।
दिल तक ना पहुंची दिल की बात,
रास्ता भटकाने कई दिलदार मिले ।
बे-इरादा तो नहीं चलाए थे पत्थर,
इरादे उन सबके बहुत खूंखार मिले ।
सवाल जितने अदब से हमने किए,
जवाब सबही सबके बड़े बेकार मिले ।
गंगा जमुनी तहजीब समझे थे जिसे,
गंगा के न ही जमुना के आसार मिले ।
जो मजहब नहीं सिखाते किसीसे बैर,
वहीं पर नफरतों के बड़े ठेकेदार मिले ।
यह तो सोची समझी चाल थी ‘मिलन’
इनमें पढ़े लिखे कुछ नेता गद्दार मिले ।।
मिलन ” मोनी “
Leave a comment