Humsafar

18 Jun

” हमसफर “

गुलों के हम सफर ही खार मिले,

जिंदगी में ऐसे भी किरदार मिले ।

रास्ता सहरा का है तवील बहुत,

बीच राह शायद कहीं बहार मिले ।

दिल तक ना पहुंची दिल की बात,

रास्ता भटकाने कई दिलदार मिले ।

बे-इरादा तो नहीं चलाए थे पत्थर,

इरादे उन सबके बहुत खूंखार मिले ।

सवाल जितने अदब से हमने किए,

जवाब सबही सबके बड़े बेकार मिले ।

गंगा जमुनी तहजीब समझे थे जिसे,

गंगा के न ही जमुना के आसार मिले ।

जो मजहब नहीं सिखाते किसीसे बैर,

वहीं पर नफरतों के बड़े ठेकेदार मिले ।

यह तो सोची समझी चाल थी ‘मिलन’

इनमें पढ़े लिखे कुछ नेता गद्दार मिले ।।

मिलन ” मोनी “

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