Bhool Ki Humne

9 Dec

” भूल की हमने “

मुल्क का मेहमान समझा भूल की हमने,

हैवान को इन्सान समझा भूल की हमने ।

इश्क जताया बहुत पर किया नहीं कभी,

और उन्हें नादान समझा भूल की हमने ।

जो कुछ कहा तुमने वही तो किया मैने,

उसका फरमान समझा भूल की हमने ।

इब्तिदा को इन्तेहा मान लिया सफर में,

जमीं को आसमां समझा भूल की हमने ।

हुस्न को निखारा नहीं आइने के सामने,

कर्ज का मकान समझा भूल की हमने ।

वो नजदीक से नजदीकतर आते गए,

ये बहुत एहसान समझा भूल की हमने ।

मुश्किलें जो मिलीं ‘मिलन’ राहें शौक में,

उनको अरकान समझा भूल की हमने ।।

मिलन ” मोनी “

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