” किसलिए “
नजरें मिला के नजरें चुराती हो किसलिए,
नजरें चुराके खुद से शर्माती हो किसलिए।
इजहारे मोहब्बत का भी सोचा नहीं कभी,
इश्क नहीं तो सपनों में आती हो किसलिए।२
तुमको भी मोहब्बत है यकीन है मुझको,
उंगली के इशारों से बुलाती हो किसलिए।३
जो बात मेरे लब पर भी आई नहीं कभी,
वो दिल की जानना चाहती हो किसलिए।४
कहे जमाले हुस्न पे हमको नहीं गुमां तो,
छुपा के काला तिल लगाती हो किसलिए।५
कहते हो याद मुझको आती नहीं ‘मिलन’,
गाहे बगाहे हिचकियां लेती हो किसलिए।।६
मिलन ” मोनी “
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