Sneh Tarang

10 Jul

” स्नेह तरंग “

पथ फूलों से भरा हो तो चलना होगा,

और शूलों भरा हो तो संभलना होगा।१

बर्फ चाहें कितनी भी पत्थर हो जाए,

सूरज के आगे तो उसे पिघलना होगा।२

मझधार जो लहर खामोश बहती है,

किनारे पे आकर तो मचलना होगा।३

मनमोहक गंध और सौंदर्य फैलाए,

डाल से टूटे फूल को बिखरना होगा।४

रास्ता आसान या हो बहुत मुश्किल,

साथ तुम्हारा हो तो निकलना होगा ५

राजनीति के जंगल में हजारों नाग,

जहर बुझे नागों को कुचलना होगा।६

मधुर प्रेम सरोवर में सतरंगी किरने,

हरेक किरण का अर्थ समझना होगा।७

ये रब ही जाने ‘मिलन’ की बेला में कब,

स्नेह तरंगों का हृदय में उछलना होगा।।८

मिलन ” मोनी “

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