” बदलाव “
कहीं धूप कड़ी तो कहीं शजर भी आएगा,
कहीं सहरा तो कहीं पे समंदर भी आएगा ।
सीधे सीधे मंज़िल का पता मिलता नहीं,
रास्ते में दरिया तो कहीं पत्थर भी आएगा ।
ठंडी हवा के झोंको के झांसे में मत रहना,
मौसम बदलते ही यहां बवंडर भी आएगा ।
मोहब्बत से जंग हारने का मलाल न करो,
दिल हारने एक दिन सिकंदर भी आएगा ।
जैसा हो रहा है निजाम ‘मिलन’ होने दो,
धीरे धीरे यहां बदलाव नजर भी आएगा ।।
मिलन ” मोनी ”
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