” हार जीत “
ज़रा सी बात का इतना बुरा माना नहीं करते
ज़िद पे बेवजह इतना कभी आया नहीं करते ।
मोहब्बत एक बाज़ी है कभी हारे कभी जीते
जो ज़ाहिर है निगाहों से झुठलाया नहीं करते ।
किसे पाना किसे खोना है ये खेल नसीबों का
जिधर नहीं रास्ता कोई उधर जाया नहीं करते ।
जिन्हें सुनकर किसीकी जान ही निकाल जाए
कहीं बातों में इतना तो जहर लाया नहीं करते ।
बहुत कीमती होते हैं जाज़बातों के यह आंसू
इक कतरा भी आँख से यूंही ज़ाया नहीं करते ।
बे सबब रोने से दिल हल्का नहीं होता ‘मिलन’
गमों से खेल कर मन को बहलाया नहीं करते ।।
मिलन “मोनी” १८/८/२०
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