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Hisab Kitab

14 Sep

” हिसाब किताब “

तुम हम से तो बचा लोगे गुनाहों का हिसाब किताब,

ऊपर वाले से कैसे छुपाओगे अपना हिसाब किताब।१

अपने खाते में खुद ही तो अच्छा अच्छा है लिख लो,

तुम जानते हो सच नहीं है यह झूठा हिसाब किताब।२

यह धर्म नहीं है पर, जिंदगी जीने की उत्तम शैली है,

तुम क्या समझोगे इस सनातन का हिसाब किताब।३

सत्ता में तुम जब तक रहे भुला बैठे अपनी संस्कृति,

रहनुमाओं! एक दिन मांगेगी जनता हिसाब किताब।४

वर्तमान में रहके उज्ज्वल भविष्य की ओर देखो पर,

इतिहास की सदी सदी का भी रखो हिसाब किताब।५

लोग तुमसे पूछते हैं अब तक तुमने क्या क्या किया,

उठा के रख दो चन्द्र्यान,जी२० का हिसाब किताब।६

चाइना, पाकिस्तान का इतिहास पलट कर देखिए,

सुर्ख पन्नों में दर्ज मिलेगा बहशती हिसाब किताब।७

जितना तुमने ‘मिलन’ देश को लूट लूट कर खाया है,

तुम्हारे भ्रष्टाचार में दिखेगा इसका हिसाब किताब।।८

मिलन ” मोनी “

Kisliye

2 Sep

” किसलिए “

नजरें मिला के नजरें चुराती हो किसलिए,

नजरें चुराके खुद से शर्माती हो किसलिए।

इजहारे मोहब्बत का भी सोचा नहीं कभी,

इश्क नहीं तो सपनों में आती हो किसलिए।२

तुमको भी मोहब्बत है यकीन है मुझको,

उंगली के इशारों से बुलाती हो किसलिए।३

जो बात मेरे लब पर भी आई नहीं कभी,

वो दिल की जानना चाहती हो किसलिए।४

कहे जमाले हुस्न पे हमको नहीं गुमां तो,

छुपा के काला तिल लगाती हो किसलिए।५

कहते हो याद मुझको आती नहीं ‘मिलन’,

गाहे बगाहे हिचकियां लेती हो किसलिए।।६

मिलन ” मोनी “

Karam

2 Sep

” करम “

रास्ते का पता है न मंजिलों का बस चले जा रहे हैं,

रोशनी का पता है न अंधेरों का बस जले जा रहे हैं।१

न बस रहे हैं चैन से और न खिसक रहे हो बेचैन,

जहरीले सांप जो आस्तीनो में बस पले जा रहे हैं।२

राजनीति से परे हैं और भ्रष्टाचार से बहुत दूर पर,

भोले और नादान लोग हैं जो बस छले जा रहे हैं।३

मानवता के सबसे करीब है हमारी हिंदू संस्कृति,

इसलिए सनातनी सांचे में लोग सब ढले जा रहे हैं।४

चाहतें हैं आसमानों से ऊंची मगर करना कुछ नहीं,

ये आलसी लोग है जो हाथों को बस मले जा रहे हैं।५

जो वक्त बर्बाद करता, वक्त ही उसे बर्बाद करता है,

वक्त के यही तो इंतकाम हैं जो बस खले जा रहे हैं।६

कुछ को सब मिल रहा ‘मिलन’ कुछ को कुछ नहीं,

ये अपने अपने ही करम हैं जो बस फले जा रहे हैं।।७

मिलन ” मोनी “

Modi Ji Se…

15 Aug

” मोदी जी से.. “

बीज सनातनी डालें और पेड़ लगाएं मोदी जी,

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई एक बनाएं मोदी जी।१

आंख दिखाए देश के दुश्मन अंदर या बाहर के,

तीखे वार करके उन्हें सबक सिखाएं मोदी जी।२

बे- सिर पैर के मसलों में समय नहीं लगाना है,

विरोधियों को संसद में नाच नचाएं मोदी जी।३

उन्नति के पथ पे ले जाएं हर धर्म हर कौम को,

गांवगांव से शहरों तक सड़क पहुंचाएं मोदी जी।४

जब भ्रष्टाचारी नेता अफसर और व्यापारियों का,

काला धन जब्त कर के सजा दिलाएं मोदी जी।५

भारतीय अर्थ व्यवस्था का मुक़ाबिल नहीं कोई,

दुनिया को यू पी आई का ज़ोर दिखाएं मोदी जी।६

चंद्रयान से बुलेट ट्रेन का सफर सुहाना लगता है,

नए नए अविष्कारों का अंबार लगाएं मोदी जी।७

समान नागरिक संहिता, शिक्षा, न्याय, कानून,

समानता की देशभर में अलख जगाए मोदी जी।८

घर घर जल,घर घर अन्य, घर घर उजाला लाए,

स्वास्थ, सुरक्षा, शांति का पाठ पढ़ाएं मोदी जी।९

देश सभी का है बराबर नहीं किसी के बाप का,

सुख समृद्धि, सद भावना देश में लाएं मोदी जी।१०

जन गण मन और वंदे मातरम सबको गाना हो,

भारत माता को ही विश्व गुरु बनाएं मोदी जी।११

शून्य से शुरू ‘मिलन’ अनंत काल तक जाना है,

दुनिया आए पीछे पीछे कदम बढ़ाएं मोदी जी।।१२

मिलन ” मोनी “

१५ अगस्त ,२०२३

Chandrayan

10 Aug

” चंद्रयान “

इसका मुझको आज भी यकीन नहीं है,

अपने पैरों के नीचे कोई जमीन नहीं है।१

दूर अपनी जड़ों से हो जाए इक दिन,

इतना ऊंचा उड़ने का शौकीन नहीं है।२

मर मर कर जी रहा जीते जी मर रहा,

मेहनत कश इंसा कोई मशीन नहीं है।३

इक दूजे के राज़ तो सभी जानते है,

इस शहर में कोई पर्दा नशीन नहीं है।४

दौरे गम में कई बार गुनगुना चुका हूं,

मेरी गजल कोई ताजा तरीन नहीं है।५

दौलत इज्जत ऐशोआराम है लेकिन,

मोहब्बत नहीं तो जिंदगी हसीन नहीं है।६

चंद्रयान सा ‘मिलन’ जिस जमी पे जाऊं,

महफिल में ऐसा कोई महजबीन नहीं है।।७

मिलन ” मोनी “

Andher

1 Aug

” अंधेर “

अपने दिल के छाले कैसे दिखाऊं तुझको,

कोई बेवफा नहीं हूं मैं कैसे बताऊं तुझको।१

तेरे हुस्न पे लिख दिए हैं मैने हजारों नगमे,

तुमही बताओ वो सब कब सुनाऊं तुझको।२

फेर करके मुंह निकल लेते हो अपने रास्ते,

तब मिलने का रास्ता कैसे सुझाऊं तुझको।३

इश्क के अफसाने तुझे करते नहीं दीवाना,

अपने प्यार के रंग में कैसे डुबाऊँ तुझको।४

चाहता हूं उठाऊं तेरे हुस्न के नाज़ो नखरे,

ताउम्र उल्फत की इबारत सिखाऊं तुझको।५

उसके घर में देर सवेर हो जाती है ‘मिलन’,

अंधेर नहीं इस सच से कैसे मिलाऊं तुझको।।६

मिलन ” मोनी “

Kabhi Socha Na Tha

29 Jul

” कभी सोचा न था “

रात सोए अलग अलग ये कभी सोचा न था,

फासला ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।१

जिंदा होते हुए भी अब हो गए मरहूम हम,

जख्म ऐसे भी मिलेगा ये कभी सोचा न था।२

हाथ उसका चाहा था साथ आया और कोई,

हादसा ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।३

हर कदम पर कुछ नई ठोकरें खानी पड़ी,

रास्ता ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।४

आयना है सामने पर चेहरा किसी और का,

सामना ऐसे भी होगा ये कभी सोचा न था।५

चाल थी मेरी सही पर जीत उनकी हो गई,

हारना ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।६

जिनके सहारे हम चले थे वो ही मुकर गए,

आसरा ऐसा भी होगा ये कभी सोचा न था।७

ख्वाब सारे सुबह तक मिट जाएंगे ‘मिलन’

जागना ऐसे भी होगा ये कभी सोचा न था।।८

मिलन ” मोनी “

Kissa Kahaani

22 Jul

” किस्सा कहानी “

बतानी भी नहीं और छुपानी भी नहीं है,

कोई बात तो दिल से लगानी भी नहीं है।१

उठाना नहीं है शोर जज्बातों का इतना,

और वास्ले शब तन्हा बितानी भी नहीं है।२

वो आंखों ही आंखों में बता दीजिएगा,

जिस बात को होंठो से बतानी भी नहीं है।३

कुछ शेर तेरे मुझको पसंद आ गए है,

पर गजल तुझको पूरी सुनानी भी नहीं है।४

मोहब्बत को देखा है परखा है दुनिया में,

मीरा सी कहीं कोई दिवानी भी नहीं है।५

ज़माना इस कदर खुदगर्ज हो गया है,

के आंखों में शर्म का पानी भी नहीं है।६

सात जन्मों तक साथ बिता देते हैं,

कभी दो घड़ी संग निभानी भी नहीं है।७

ले लेते हो दर्द सबका ‘मिलन’ तुम,

ये किस्सा नहीं है कहानी भी नहीं है।।८

मिलन ” मोनी “

Jagaane Aa Gaye

20 Jul

” जगाने आ गए “

कुछ दिखाने आ गए, कुछ जताने आ गए,

मोहब्बत के माया जाल में फसाने आ गए।१

मुस्कुराके कुछ इस तरह मिलायीं नजरें,

याद वो हमको सारे दिन पुराने आ गए।२

कभी निशाने पर कभी ठिकाने आ गए,

मरहम के बहाने जख्म लगाने आ गए।३

दिल में रह कर की मेरे ही दिल पे चोट,

हमदर्द बन दिल में दर्द बसाने आ गए।४

किनारे थीं कश्तियां, लंगर को तैयार,

तेज हवा के झोंके उन्हें बहाने आ गए।५

वो चरागे मोहब्बत जो जलाए थे कभी,

घुप अंधेरों में भी रास्ता बताने आ गए।६

बड़ी मुश्किल से छुपाया था दरदेदिल,

अश्क यकबयक गम दिखाने आ गया।७

रातभर जगाया जिस ख्वाब ने ‘मिलन’

उनके ख्वाब वो सुबह भी जगाने आ गए।।८

मिलन ” मोनी “

Sneh Tarang

10 Jul

” स्नेह तरंग “

पथ फूलों से भरा हो तो चलना होगा,

और शूलों भरा हो तो संभलना होगा।१

बर्फ चाहें कितनी भी पत्थर हो जाए,

सूरज के आगे तो उसे पिघलना होगा।२

मझधार जो लहर खामोश बहती है,

किनारे पे आकर तो मचलना होगा।३

मनमोहक गंध और सौंदर्य फैलाए,

डाल से टूटे फूल को बिखरना होगा।४

रास्ता आसान या हो बहुत मुश्किल,

साथ तुम्हारा हो तो निकलना होगा ५

राजनीति के जंगल में हजारों नाग,

जहर बुझे नागों को कुचलना होगा।६

मधुर प्रेम सरोवर में सतरंगी किरने,

हरेक किरण का अर्थ समझना होगा।७

ये रब ही जाने ‘मिलन’ की बेला में कब,

स्नेह तरंगों का हृदय में उछलना होगा।।८

मिलन ” मोनी “