कभी बनते बनते बन जाती है
कभी ठनते ठनते ठन जाती है !
न चाहते हुए भी आपको नज़र
कंभी बचते बचते लग जाती है !
फ़ोकट का खाने वालों की घंटी
कभी बजते बजते बज जाती है !
राज नेताओं के इल्म की बत्ती
कभी जलते जलते बुझ जाती है !
रौशनी चरागों में रात होने पर
कभी बुझते बुझत जल जाती है !
खुशियों की यह धूप सहन में
कभी ढलते ढलते ढल जाती है !
आदत बुरी जल्दी ज़िन्दगी में
कभी लगते लगते लग जाती है !
कालचक्र की यह गाडी ‘मिलन’
कभी चलते चलते रुक जाती है !!
मिलन “मोनी”
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