Phli Phli Baar

12 Aug

जब मिले थे हम और तुम पहली पहली बार,
थम गया था वक़्त वहीँ पर पहली पहली बार!

यूँ तो कितनी बार पिया था नज़रों से ये जाम,
पर होश गवां बैठे थे हम तो पहली पहली बार!

रास्तों पर मंजिल थी या मंजिल तलक रस्ता,
ज़मीं पर पड़ता पाँव नहीं था पहली पहली बार!

आँखों में थे ख्वाब और ख़्वाबों में बस तू ही तू,
जागे थे गहन नींद से शायद पहली पहली बार!

न सावन का मौसम था न आसमान में बादल,
ऐसी बारिश में भीगे हमतुम पहली पहली बार!

दिल की गीली मिट्टी पर पड़े ज़ज्बातों के बीज,
फूल मोहब्ब्त के मुस्काये थे पहली पहली बार !

खुद का होश कहाँ ‘मिलन’न साँसों की सुधबुध,
हाथ तुम्हारा लिया हाथों जब पहली पहली बार !!

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